भारत का संविधान कहता है की देश में महिलाओं व पुरुषों को बराबर का अधिकार है और मुस्लिम समाज की महिलाओं से शादी से पहले पूछा जाता है ""कबुल है"" परंतु तीन बार तलाक कहते समय फैसला एक तरफा कर लेते है। तीन तलाक के मामले में मुस्लिम समाज भी एक नही है,ना भारत में न अन्य देशों में।।
शिया मुसलमान इसे गलत मानते है जबकि सुन्नी मुसलमान भारत में इसे शरिया का कानून कहते है परंतु यदि शरिया का कानून होता तो पाक जैसे अन्य मुस्लिम देशों में भी अनिवार्यता से लागू होता।।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जो की मुसलमानों की संस्था है वो संविधान में बदलाव नही चाहकर इस संस्था की रूढ़िवादी तथा मध्ययुगीन सोच को दुनिया के सामने ला रहा है।
आज दुनिया में महिलाएं आगे आकर नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है परंतु भारत में मुस्लिम समाज की कुछ महिलाओं को छोड़कर अन्य आज भी इन्ही रूढ़िवादिता की सोच में जी रही है।
बदलाव के पक्ष में तथा यूनिफॉर्म सिविल कोड के समर्थन में मुस्लिम महिलाएं आगे आई है और अब उनके समझ आया है कि इन रूढ़िवादी ताकतों को हटाकर महिलाओं को सबके समान हक़दार बनना होगा और पुरुषो के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चलना होगा जिससे उनकी, समाज की तथा देश की उन्नति में वो भी सहभागी हो पायेगी।।
-पवन सिंह,मंदसौर
मो. 09406601993
शिया मुसलमान इसे गलत मानते है जबकि सुन्नी मुसलमान भारत में इसे शरिया का कानून कहते है परंतु यदि शरिया का कानून होता तो पाक जैसे अन्य मुस्लिम देशों में भी अनिवार्यता से लागू होता।।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जो की मुसलमानों की संस्था है वो संविधान में बदलाव नही चाहकर इस संस्था की रूढ़िवादी तथा मध्ययुगीन सोच को दुनिया के सामने ला रहा है।
आज दुनिया में महिलाएं आगे आकर नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है परंतु भारत में मुस्लिम समाज की कुछ महिलाओं को छोड़कर अन्य आज भी इन्ही रूढ़िवादिता की सोच में जी रही है।
बदलाव के पक्ष में तथा यूनिफॉर्म सिविल कोड के समर्थन में मुस्लिम महिलाएं आगे आई है और अब उनके समझ आया है कि इन रूढ़िवादी ताकतों को हटाकर महिलाओं को सबके समान हक़दार बनना होगा और पुरुषो के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चलना होगा जिससे उनकी, समाज की तथा देश की उन्नति में वो भी सहभागी हो पायेगी।।
-पवन सिंह,मंदसौर
मो. 09406601993
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