Tuesday, 31 January 2017

महारानी पद्मिनी और जौहर की गाथा



सिंहल के राजा गंधर्व और रानी चम्पावती के घर एक सुंदर कन्या का जन्म हुआ जिसका नाम रखा गया पद्मिनी।

राजकुमारी पद्मिनी नाम के के अनुरूप ही कोमल, अत्यंत सुन्दर वर्ण और बुद्धि कौशल में परिपूर्ण कन्या थी। जब राजकुमारी विवाह योग्य हुई तो उनकी शादी के लिये राजा गंधर्व ने एक स्वयंवर का आयोजन किया जिसमें कई राज्यों के राजा आये जिसमे मेवाड़ राज्य के राजा रावल रत्नसिंह जी भी पधारे। रावल रतनसिंह जी ने उस स्वयंवर को जित लिया और राजकुमारी पद्मिनी ने भी उनको अपना पति सहर्ष स्वीकार किया।। इस प्रकार राजकुमारी पद्मिनी चित्तोड़ की महारानी बनकर आई।

रानी पद्मिनी इतनी सुंदर थी की उनकी सुंदरता की तारीफे केवल मेवाड़ राज्य ही नही अपितु राज्य के बाहर के भी लोग किया करते थे। उनका सौन्दर्य यायावर गायको (भाट/चारण/कवियों) के गीतों का विषय हुआ करता था और रानी की सुंदरता के गीतों का स्वर इतना बड़ा की उसकी आवाज दिल्ली तक जा पहुँची, उस समय वहां अत्यंत क्रूर और वहशी सुल्तान अल्लाउद्दीन खिलजी का शासन था जिसे पराई और सुंदर औरतो को अपने हरम में रखने में मजा आता था। रानी  पद्मिनी को भी अपने हरम में शामिल करके अपनी पिपासूता शांत करने की चाह लिए खिलजी ने चितौड़ को चारों और से घेर लिया और कई महीनो तक घेरे रखा, दोनों ओर से युद्ध चलता रहा और अंत में खिलजी ने पापी चाल चलते हुए राजा रत्नसिंह को सन्देश भिजवाया की वो केवल रानी को एक बार देखना चाहता है उसके बाद वो दिल्ली वापस लौट जायेगा। बहुत गहरी मंत्रणा के पश्चात् खिलजी को निशस्त्र अंदर आने कि अनुमती दे दी और खिलजी के लिए एक विशेष झरोखे का इंतजाम किया गया जहाँ से उसने रानी पद्मिनी को दर्पण में देखा, जो खिलजी रानी की सुंदरता का बखान सुनकर ही उसे पाने के लिए लालायित था वो रानी को देखकर पगला हो उठा परन्तु निशस्त्र होने तथा अकेला होने के कारण उसने कुछ ना किया, उधर भोले इंसान राजा रत्नसिंह जी उस खिलजी की बातों में आ गए और बाते करते करते किले के सातों दरवाजो को पार कर गए। जैसे ही राजा सातवे दरवाजे से बाहर आये उन्हें खिलजी के सैनिकों ने कैद कर लिया और एक विशेष कैदखाना बनाकर उन्हें रखा गया।
राजा को कैद करने के बाद खिलजी ने शर्त रखी कि रानी को हमे दे दो और राजा को ले जाओ।
मेवाड़ की आन बान शान और राजपूतो का सम्मान रानी पद्मिनी को लेकर ऐसी बात सब आग-बबूला हो गए, पर करते भी तो क्या सेना कम थी, राजा उसके पास कैद थे।

मेवाड़ की महारानी पद्मिनी जो सौन्दर्य की अप्रतिम मूर्ति थी साथ ही बड़ी ही चतुर और बुद्धि वाली नारी थी, उसने खिलजी को सन्देश भिजवाया की "मै अकेली नही आऊँगी मेरे साथ मेरी 700 दासियाँ भी आयेगी और मुझे राजा जी से अंतिम बार अकेले में मिलना है इसलिए मेरी डोली सीधे उनके तंबू में पहुचेगी।" खिलजी बहुत प्रसन्न हुआ और उसने हाँ करदी। इधर महल में डोलियां सजाई गई, जो डोली रानी के लिए सजी थी उसमें रानी का 12 साल का भतीजा बादल बैठा, इसी प्रकार प्रत्येक डोली में दासी की जगह 2-2 सैनिक बैठे और डोली को उठाने वाले कहार भी सैनिक ही थे।
रानी की डोली जिसमे बादल बैठा वो सीधे राजा के तम्बू में जाकर रुकी और उसमें से बादल के बाहर निकलते ही हर हर महादेव का उद्घोष हुआ और सारे सैनिक भूखे सिंहो की भांति खिलजी की सेना पर टूट पड़े सेना कुछ समझ पाती उससे पहले राजा को छुड़वा लिया गया। भयंकर युद्ध हुआ खिलजी की सेना परास्त हुई और उसे वापस दिल्ली लौटना पड़ा। 

रानी की चातुर्यपूर्ण योजना से खिलजी की मिट्टी पलीद हुई उसे मुँह की खानी पड़ी पर वो चुप ना बैठा। कुछ समय बाद पुनः चितौड पर आक्रमण कर दिया, इस बार युद्ध अति भयंकर था, राजपूत वीरो ने वीरता से लड़ते हुए खिलजी की सेना से लोहा लिया पर कब तक वो विशाल सेना के सामने टिक पाते, राजपूत सैनिक गिनती के बचे थे और किले के अंदर भय व्याप्त हो गया कि अब क्या होगा?
फिर आया वो दिन जो इतिहास के पन्नो में एक नई कहानी लिख गया, वो क्षत्राणियों की अमरता की गाथा लिख गया। 


26 अगस्त 1303 की सुबह चित्तोड़ के लिये नई थी, उस सूर्योदय से पहले ही सारा चितोड़ नहा कर नए वस्त्र धारण करके तैयार था। एक विशाल हवन कुंड का निर्माण किया गया था, जिसकी अग्नि सबको अपने में समाने के लिए तैयार थी, राजपूत वीर सर पर केसरिया बाना पहने, हाथो में शस्त्र लिए और मुँह में तुलसी माँ का पत्ते लिए तैयार खड़े थे। जैसे ही शंखनाद हुआ किले के दरवाजे खोल दिए गए, राजपूत वीर सिंह की भांति दुश्नमो को काटते हुए आगे बढ़ रहे थे, खिलजी की सेना गाजर-मूली की तरह कट कटके नीचे गिर रही थी, पर संख्या में कम योद्धा कब तक उस विशाल सेना के सामने टिक पाते और अंत में जब सारी सेना खत्म हो गई तो खिलजी बड़ा गर्व महसूस करता हुआ किले में प्रवेश हुआ पर अंदर का नजारा देखकर सहम सा गया, उसके बढ़ते कदम रुक से गये, अग्नि की निकलती लपटों ने उसे सोचने के लिए मजबूर कर दिया क्योंकि जिस रानी को पाने का सपना लिए वो अंदर प्रवेश हुए थे वो रानी पद्मिनी अपने साथ 16000 क्षत्राणियों को लेकर "हर हर महादेव" "एकलिंग जी की जय" का उद्घोष करती हुए अग्नि में समा गई। उन 16000 क्षत्रिय नारियो ने स्वयं को होम कर दिया पर मेवाड़ की, चितोड़ की और राजपूताने के आन-बान-शान और सम्मान पर विदेशी और पापी-क्रूर आताताई खिलजी की नजर ना पड़ने दी।
चित्तौड़गढ का किला
ऐसा अमरता का, सम्मान का, गौरव का इतिहास लिए खड़ा वो चितोड़ आज भी उन वीरांगनाओ का बखान करते नही थकता, वो सम्मान की आग आज भी राजपूती खून में भरी पड़ी हैं इसीलिए आज भी जब भी कभी देश के सम्मान पर चोट होती है राजपूत सबसे पहले खड़े होते है!
 धन्य ऐसी राजपूती और धन्य हम जो इस राजपूती में जन्मे !!!


- पवन सिंह "अभिव्यक्त"
मो- 09406601993

Monday, 23 January 2017

देश की प्रगति की राह निश्चित करने वाला हो अपना "गणतंत्र"

26 जनवरी 1950 को लागू हुए देश के संविधान को इस वर्ष 67 वर्ष पूर्ण होने जा रहे हे। इन 67 वर्षों में देश में कई उतार- चढ़ाव आये, कई विपदाएं आई, देश ने चार समर झेले, इस देश ने जनता के सहयोग से उन विपदाओं पर विजय प्राप्त की।
हमारी भारतभूमि ऋषियों-मुनियों, त्यागियों-तपस्वियों, दानवीरों और जनता के हित के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देने वाले राजाओं-महाराजाओ की भूमि है, जिन्होंने जनता के दुःख-दर्द को अपना माना और उनके निदान के लिए अपने जीवन को भी होम कर दिया। ऐसे दानवीर दधीचि हो या राजा शिबि, गुरु गोविंद सिंह जी हो या महाराणा प्रताप। सबने जनता के सुख के लिए अपने सुखों का त्याग किया और ऐसे वीर महापुरूषों के कारण ही इस धरती पर गणतंत्र की स्थापना हुई।
आजादी के 70 वर्षों के पश्चात इस गणतांत्रिक देश में गण अर्थात जनता पर तंत्र अर्थात नेताओ का प्रभुत्व नजर आता हैं।
देश आज भुखमरी, गरीबी, अशिक्षा, विकराल भ्रष्टाचार, जातिगत भेदभाव जैसी विकट परिस्थितियों से गुजर रहा है। एक ओर हम ऊँची मीनारे बनाकर, देश में हाईस्पीड ट्रेनें चलाकर, विश्व में भारत का डंका बजाकर और हमारे प्रयोगों से चाँद पर भी जगह बनाकर खुश है कि हम उन्नति कर रहे है, परन्तु भारत देश की एक तस्वीर ओर है जिसमें देश की गरीब जनता को एक समय की रोटी नसीब नही होती? एक बड़ा वर्ग जिसे शिक्षा का अर्थ नही मालूम? हर छोटे से छोटे काम के लिए भ्रष्ट अफसरों की जेब भरने वाला भ्रष्टाचार हो या जी-तोड़ मेहनत करके, दिन रात एक करके फसल उगाने के बाद भी मन चाही रकम ना मिलने पर आत्महत्या को मजबूर किसान हो फिर भी जातिगत आधार पर नेता बने बैठे तंत्र को कोई फर्क नही पड़ता। उसे फर्क पड़ता है केवल इस बात का की वोट कैसे प्राप्त हो, इसके लिए वो सारी संवैधानिक व्यवस्था को पीछे धकेल देता हैं और जनता से वादे करके, जातिगत बाते बनाकर वोट प्राप्त करता है और फिर उच्च पदों पर जाकर सारी गणतांत्रिक व्यवस्था को निचा दिखाता है।


आज केंद्र में जनता द्वारा चुनी हुई पूर्ण बहुमत वाली तथा पारदर्शी कहलाने वाली सरकार बैठी है, उसको चाहिए की गरीबी उन्मूलन, अशिक्षा का अंधकार, भुखमरी से मरती जनता और जी तोड़ मेहनत करने के बाद भी आत्महत्या को मजबूर किसान की समस्याओं को समझें तथा उन समस्याओं को खत्म करने में देश की जनता का सहयोग लेकर देश की प्रगति की राह निश्चित करे. देश की जनता को भी चाहिए की सरकार के अच्छे कार्य में हाथ बटाकर भारतमाता को परम वैभव के शिखर पर ले जाने अपना यथोचित दायित्व निर्वहन करे||
भारत माता की जय......... 


-पवन सिंह "अभिव्यक्त"
मो. 09406601993

Saturday, 21 January 2017

माँ दुधाखेडी मंदिर की घटना को प्रदर्शित करती कुछ पंक्तियाँ


 करोड़ो भक्तो की भक्ति व आस्था का केंद्र दुधाखेडी माता जी का मंदिर जिला प्रशासन और मंदिर प्रबंधन के मास्टर प्लान के तहत ध्वस्त हो गया जिसमें माँ दुधाखेडी की पावन मूर्ति नष्ट हो गई, उसी संदर्भ को प्रदर्शित करती मेरी कुछ पंक्तियाँ




छत्र गिरा है माँ दूधा का, अब ये सहन नही होगा।
नवनिर्माण का ढोंग रचाकर, श्रद्धा का हनन नही होगा।।

भानपुरा के समीप लगा है माता रानी का दरबार।
आते उसमे दीन-दुखी सब, सब जगह जाते जो हार।।

दुखियो के दुःख दैन्य मिटाती, जो दर माँ के जाता है।
पापियों को सबक सिखाती, ऐसी दूधा माता है।।

हे माँ दुर्गा घड़ी समीप है, दुष्टो का संहार करो।
भ्रष्टाचार की ललक जगाने वालो पर अभिश्राप करो।।

जन भावना के साथ खेलते, अधिकारी सब दोषी है।
दैत्य बन मंदिर ढहाने वाले सब ही दोषी है।।

मत करो विकास ऐसा की देव भी ना बच पाये।
मत रचाओ निर्माण का ढोंग की, दानव हावी हो जाये।।

हे माँ दुर्गा कुछ तो ऐसा चमत्कार कर दिखलाओ।
दुष्ट दानव बन बैठे जो उनको चलता कर जाओ।।

"पवन" को विश्वास अटल है, दूधा माँ की भक्ति से।
नही बचेंगे पापी कोई, दूधा माँ की शक्ति से।।

पवन सिंह "अभिव्यक्त" ,मन्दसौर
मो. 09406601993

Thursday, 19 January 2017

क्या सिध्य करना चाहते है राहुल ??


दुनिया की सबसे रईस महिला का पुत्र जो अपने बाल बनवाने विदेश जाता है, संसद के सदस्य होते हुए महत्वपूर्ण सत्र छोड़कर छुट्टियां मनाने विदेश जाता है, महंगी-महंगी गाड़ियों में सफर करता है, जिसकी माँ बिना किसी आय के स्त्रोत के विश्व की सबसे अमीर महिला है, वो व्यक्ति चुनावी सभा में गरीबो का मजाक उड़ाकर अर्थात फटा कुर्ता लोगो को दिखाकर क्या सिद्ध करना चाहता है??
नोटबंदी के बाद सरकार ने कौन सा इनका, इनकी माँ या इनके जीजा के कालेधन को हड़प लिया और ये रोड पर आ जाये ऐसी स्थिति आ गई जो इनको खुद का ऐसा मजाक बनाना पड़ रहा है?  राहुल जी वैसे भी राष्ट्रिय मजाक बन चुके है, इनको इनकी कांग्रेस में कोई नही सुनता और इसी का परिणाम है कि भारत की सबसे बड़ी पार्टी आज 6 छोटे छोटे राज्यो तक सिमट कर रह गई। "27 साल यूपी बेहाल" का नारा लेकर चुनाव में कुदी राहुल जी की कांग्रेस ने उसी पार्टी से समझौता कर लिया जिसका 11 वर्षो तक उस राज्य में राज रहा है, तो क्या अब राहुल जी "27 साल यूपी बेहाल" को "16 साल यूपी बेहाल" करेंगे या वेसे ही डूबती कांग्रेस को डुबाकर ही दम लेंगे।।
राहुल जी आपको भारत के साथ साथ सारी दुनिया जानती है कि आपके पूर्वज कौन थे? आपकी माँ कौन है? आप कौन है? आप किस रईस घराने से आते हो? फिर ऐसे खुद का मजाक बनाना छोड़िये और कुछ सार्थक प्रयास कीजिये, खुद की छवि भारत के साथ सारी दुनिया में सुधारने के लिए, वरना ऐसा ना हो की जिस छेद वाले कुर्ते को बताकर आप सहानुभूति पाना चाह रहे वो छेद कांग्रेस की डूबती नैया में बड़ जाये तो कुछ कुछ तैरती कांग्रेस की नैया गर्त में समा जाए।।

-पवन सिंह"अभिव्यक्त"
मो. 09406601993

Saturday, 14 January 2017

मकर सक्रांति पर्व पर कुछ पंक्तियाँ

⚡ मकर सक्रांति पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं⚡

मकर संक्रांति पर प्रस्तुत कुछ पंक्तियाँ


हे ईश्वर तू कृपा करना,
जीवन की डोर को थामना,
पतंग की भांति उड़ती जाये,
मुश्किलों का ना हो सामना।

राहों का संक्रमण मिटाकर,
करे कर्म जो अच्छे हो।
रिश्तों का बंधन अपनाकर,
निभाये वो जो सच्चे हो।।

नही किसी से बैर पाले,
ना किसी को क्षीण माने।
राहों में जीवन की हरदम,
कृत-उपकृत को हम जाने।।

ये संक्रांति ऐसी हो की,
सब ही सारे सुख पाये।
खुशियां सबके जीवन में हो,
नही किसी को दुःख आये।।

पवन बधाई ये देता हैं की,
हरदम सब दिल के पास रहे।
जब भी कोई संक्रमण आये,
आपके साथ की आस रहे।।

मूल रचना -पवन सिंह
मो. 09406601993

Thursday, 12 January 2017

आज के युवाओ के आदर्श बने स्वामी जी


किसी भी राष्ट्र की उन्नति तब तक संभव नही है, जब तक उस राष्ट्र की युवा पीढ़ी के मन में अतीत का गौरव, भविष्य की चिंता और वर्तमान के दायित्वों का बोध ना हो? वह राष्ट्र कितना ही सामरिक उन्नति करले परन्तु यदि उस राष्ट्र की युवा आबादी के मन में देश के लिए सर्वस्व न्योछावर करने का साहस नही है तो उस देश की सामरिक ताकत भी निरर्थक है??
कोई भी देश तब तक महान नही कहलाता जब तक उस देश की युवा पीढ़ी देश के लिये समय ना निकाले। इतिहास गवाह है कि जब-जब किसी भी देश पर समस्या आई है उसे युवाओं ने ही हल किया है।।
हमारी पवित्र हिन्दभूमि पर जन्मे भगवान श्री कृष्ण हो या श्री राम, वीर शिवाजी हो या महाराणा प्रताप, लक्ष्मी बाई हो या दुर्गावती, विवेकानंद हो या दयानंद, भगत सिंह हो या चंद्रशेखर आजाद, सावरकर हो या हो सुभाष।। सभी ने युवा रहते ही देश की तात्कालिक विषम परिस्थितियों से लोहा लिया और उन समस्याओं पर विजय प्राप्त की।।
वर्तमान में विश्व में सर्वाधिक युवा आबादी वाला देश भारत है और यहाँ के युवा सारे विश्व में भारत की संस्कृति का लोहा मनवा रहे है, परन्तु फिर भी देश में युवाओं का एक बड़ा वर्ग ऐसा है जिसे देश के लिए चिंतन का समय नही हैं, वह "मै और मेरा" में उलझा हुआ है। उसके लिये देशभक्ति के मायने बदल गए हैं। जिन वीर पुत्रो ने भारत माँ की आजादी के लिये पुरा जीवन लगा दिया वो इनके आदर्श ना होकर आज के नकली हीरो अर्थात बॉलीवुड के हीरो इनके आदर्श बन गए है। ऐसे युवाओं की देशभक्ति केवल सोशल मिडिया पर ही दिखती है और इनका बस चले तो ये सोशल मिडिया पर ही देश की सारी समस्याओं को खत्म करदे। इनके लिए असल देशभक्ति अर्थात देश की समृद्धि, उन्नति आदि की वह चिंता नही करता है, क्योंकि वर्तमान शिक्षा प्रणाली जो मैकाले की शिक्षा प्रणाली के नाम से जानी जाती है और पश्चिम की फूहड़ सभ्यता को अपनाकर स्वयं को आधुनिक बनाने की होड़ में आत्मगौरव, आत्मस्वाभिमान खो चुका है। विवेकानंद जी उस पश्चिम में जाकर भारत की संस्कृति की पताका फहरा कर जब लोटे तो सर्वप्रथम भारत माँ की माटी से खुद को स्वच्छ किया और कहा कि मै इतने समय उस सभ्यता में रहा हूं उसका अंश मेरे भीतर ना आये इसलिए माँ भारती की रजकण से स्नान कर रहा हूँ।।
आज भारत के लाखों लाख युवाओं के आदर्श विवेकानंद जी कहा करते थे की हमे ऐसी शिक्षा प्रणाली का निर्माण करना है, जिससे देश के युवाओं के मन की शक्ति बढे, वह चरित्र सम्पन्न बने तथा स्वयं की बुद्धि से स्वयं के साथ-साथ देश का भी अच्छा बुरा देख पाये।
विवेकानंद जी देश के युवाओं को आह्वान करते हुए कहते थे की- "उठो मेरे शेरो ! इस भ्रम को तोड़कर की तुम निर्बल हो, तुम कुछ नही कर सकते। मेरे सिंह सपूतो तुम ही हो जो सबकुछ कर सकते हो, इस देश में पराधीनता की दिवार तुम ही ढहा सकते हो, इस देश से पश्चिम का सौम्य आतंक हो या अन्य क्रूर आतंक इसे तुम ही मिटा सकते हो।।
विवेकानंद जी ने युवा रहते ही भारत की संस्कृति की ख्याति सारे विश्व में पहुचाई थी, वो भारत माँ व भारत की संस्कृति को सबसे श्रेष्ठ मानते थे और कहा करते थे की "अगर प्रेम करना है तो भारत माता से करो, 50 वर्षो के लिये सारे देवी देवताओं को भूलकर केवल भारत माता की पूजा करो क्योंकि देश बचेगा तो मिटेगा कौन और देश मिटेगा तो बचेगा कौन??"
उनकी यह बात आज भी युवाओं के सामने है कि वर्तमान युवा पीढ़ी माँ भारती की उपासना करे और स्वयं के राग, द्वेष सब छोड़कर, क्षेत्रवाद, भाषावाद की लड़ाई को त्यागकर भारतमाता की पीड़ा, माता के दुःख-दर्द (आतंकवाद, घुसपैठ, भुखमरी,अशिक्षा आदि)को मिटाने के लिए आगे आये और भारत को वैभव संपन्न,उन्नत और पुनः विश्वगुरु बनाये।। 

                                                                                                                              - पवन सिंह, मन्दसौर  
                                                                                                                               मो. 09406601993

Monday, 9 January 2017

युनिफोर्म सिविल कोड और मुस्लिम

भारत का संविधान कहता है की देश में महिलाओं व पुरुषों को बराबर का अधिकार है और मुस्लिम समाज की महिलाओं से शादी से पहले पूछा जाता है ""कबुल है"" परंतु तीन बार तलाक कहते समय फैसला एक तरफा कर लेते है। तीन तलाक के मामले में मुस्लिम समाज भी एक नही है,ना भारत में न अन्य देशों में।।
शिया मुसलमान इसे गलत मानते है जबकि सुन्नी मुसलमान भारत में इसे शरिया का कानून कहते है परंतु यदि शरिया का कानून होता तो पाक जैसे अन्य मुस्लिम देशों में भी अनिवार्यता से लागू होता।।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जो की मुसलमानों की संस्था है वो संविधान में बदलाव नही चाहकर इस संस्था की रूढ़िवादी तथा मध्ययुगीन सोच को दुनिया के सामने ला रहा है।
आज दुनिया में महिलाएं आगे आकर नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है परंतु भारत में मुस्लिम समाज की कुछ महिलाओं को छोड़कर अन्य आज भी इन्ही रूढ़िवादिता की सोच में जी रही है।
बदलाव के पक्ष में तथा यूनिफॉर्म सिविल कोड के समर्थन में मुस्लिम महिलाएं आगे आई है और अब उनके समझ आया है कि इन रूढ़िवादी ताकतों को हटाकर महिलाओं को सबके समान हक़दार बनना होगा और पुरुषो के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चलना होगा जिससे उनकी, समाज की तथा देश की उन्नति में वो भी सहभागी हो पायेगी।।

-पवन सिंह,मंदसौर
मो. 09406601993