सियार का जब अंत समय आता है तो वो जिंदा रहने के सारे जतन करता है।
तीन दशक तक सत्ता में रहने वाले वामदल अस्ताचल में चले गए, 'वाम जिंदा है' यह जनता को दिखाने के लिए वामदलों ने मिलकर कोलकाता के ब्रिगेड मैदान पर एक बड़ी रैली का आयोजन किया था, परन्तु उसकी उम्मीदों पर पानी तब फिरा जब उसी दिन देर शाम कोलकाता में सीबीआई की टीम के अधिकारियों को पश्चिम बंगाल पुलिस ने हिरासत में लिया। वामदल इस रैली के माध्यम से स्वयं के होने की पुष्टि जनता को कराना चाह रहे थे परंतु इसी बीच शारदा चिटफंड घोटाले के नाम पर हुए हाइवोल्टेज ड्रामे ने प्रदेश और देश की जनता का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया जिससे लोगो का ध्यान वामदलों की रैली की तरफ नही गया।
पश्चिम बंगाल में अपनी खोई जमीन तलाश करते वामदल प्रतिवर्ष इस प्रकार की रैली का आयोजन करते है जो इस बार तीन वर्षों के बाद हुई है। रैली की अनुमति नही मिलने के नाम पर लगातार राज्य सरकार पर उंगली उठाने वाले वाममोर्चे ने अपनी रैली में पश्चिम बंगाल सरकार पर किसी भी प्रकार का आरोप नही लगाया, वही दूसरी तरफ बीजेपी के राज्य में बढ़ते जनाधार से चिंतित ममता दीदी की सरकार ने बीजेपी नेताओं की राज्य में रैली की अनुमति ना देकर आग में घी डालने का काम किया। यदि अनुमति दे दी जाती तो बीजेपी के नेता अपनी रैली कार्यक्रम करके चुपचाप निकल जाते ना राज्य में, ना देश मे किसी प्रकार का हल्ला होता, ना जैसा माहौल अभी अभी खराब हुआ वैसा माहौल खराब होता परन्तु ममता ने पहले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह फिर उप के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन आदि को अनुमति ना देकर स्वयं के पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा काम किया।
वाममोर्चे की रैली वाले दिन ही योगी आदित्यनाथ की प्रस्तावित रैली जिसमे योगी को राज्य में नही आने दिया तब योगी ने उस रैली को फोन से ही सम्बोधित करके तथा अगले दिन हेलीकॉप्टर से आने की अनुमति नही होने पर भी बाय रोड जाकर उस जनसैलाब को सम्बोधित करके यह दर्शा दिया कि ममता और उसकी सरकार से अब हम डरने वाले नही है।
कभी वाम के गढ़ रहे बंगाल को ममता ने ध्वस्त किया था अब शायद ममता को अपना किला बचाने की जद्दोजहद वाममोर्चे से ना करके बीजेपी से करना पड़ रही है तभी वो सीधे ही बीजेपी के बड़े नेताओं को प्रतिदिन आड़ेहाथों ले रही है। कही ममता को अपना मोर्चा ध्वस्त होने का डर तो नही सता रहा है? जिसे बचाने के लिए सीबीआई जैसी राष्ट्रीय जांच एजेंसी और बीजेपी नेताओ के साथ सीधे दो दो हाथ करने जैसी बचकाना हरकत वो कर रही है। वही लगातार अनुमति नही मिलने के बाद मिली अनुमति पर ब्रिगेड मैदान की वामदलों की रैली में ममता सरकार पर कुछ भी ना कहना कहि यह संदेश तो नही की अनहोनी की स्थिति में हम आपके साथ है। (वाममोर्चा+ ममता) वैसे भी गठबंधन की सुबसुगाहट और उससे बनने बिगड़ने की प्रक्रिया निरन्तर चल रही है उसी में वामदलों का tmc को यह कोई संदेश तो नही?? यह सब बातें समय के गर्भ में है जो समय ही बताएगा, जिसके बारे में राज्य और देश की जनता को कुछ ही समय मे पता चल ही जायेगा।
जो भी हो 2019 का चुनाव मजेदार होने वाला है एक व्यक्ति को रोकने के लिए देश के सारी राजनीतिक पार्टियों के नेता इक्कठे हो रहे है और मजेदार बात ये है कि इस गठबंधन में शामिल सभी नेता स्वयं को प्रधानमंत्री पद का दावेदार माने हुए है, देखते है क्या होता है, पर जो भी होगा देश के हित, मातृभूमि के सम्मान के लिए ही होगा।।
-पवन सिंह "अभिव्यक्त"

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