सिंहल के राजा की बेटी,
मुगलों के सिंहासन कांपे,
ऐसी थी वो क्षत्राणी।।1।।
यायावर भाटो के मुख
से,
जिसका गान निकलता
था।
दिल्ली के दरबारों
में भी,
उच्च स्वर में बसता
था।।2।।
ऐसी रानी पद्मिनी का,
यह इतिहास निराला है।
संजय तूने उस देवी का,
यह क्या चित्रण कर डाला है।।3।।
ऐसी रानी पद्मिनी का,
यह इतिहास निराला है।
संजय तूने उस देवी का,
यह क्या चित्रण कर डाला है।।3।।
नाच नचाए घूमर
खेले,
ऐसी ना क्षत्राणी
थी।
शमशीरो से बात करें
जो,
ऐसी सती वो रानी
थी।।4।।
बोला मुझको दर्शन
दे दो,
हे देवी महारानी।
सीधे दर्शन को मना
कर गए,
वह रतन सिंह भी
अभिमानी।।6।।
तालाब तीर पर एक झरोखा,
खिलजी का बनवाया था।
उसमे रानी पद्मिनी का,
चित्रण उसे कराया था।।7।।
तालाब तीर पर एक झरोखा,
खिलजी का बनवाया था।
उसमे रानी पद्मिनी का,
चित्रण उसे कराया था।।7।।
मंत्रमुग्ध हो गया
वो खिलजी,
मन में उसके पाप
उठा।
देख चमक देवी रानी
की,
लेने को संताप
उठा।।8।।
रतन सिंह जी बड़े दयालु,
खिलजी को छोड़ने आए थे।
मुगलों से यारी ना करना,
यह गीत ना उन्हें सुनाए थे।।9।।
रतन सिंह जी बड़े दयालु,
खिलजी को छोड़ने आए थे।
मुगलों से यारी ना करना,
यह गीत ना उन्हें सुनाए थे।।9।।
कैद किया अब
महाराजा को,
और पद्मिनी मांगी
थी।
रतन सिंह की कीमत
उसने,
राजपूती से आंकी
थी।।10।।
गोरा बादल का त्याग सकल,
जो युद्ध किया और जीत पाए।
पद्मिनी उसके हाथ ना लगी,
और रतन सिंह जी घर आए।।11।।
गोरा बादल का त्याग सकल,
जो युद्ध किया और जीत पाए।
पद्मिनी उसके हाथ ना लगी,
और रतन सिंह जी घर आए।।11।।
ललचाया खुजलाया
खिलजी,
वापस दिल्ली लौट
गया।
और बवंडर सेना
लेकर,
वापस वो चित्तौड़
गया।।12।।
हाहाकार मच गई महल में,
सारे क्षत्रिय बलिदान हुए।
कट जाएं पर झुके ना गर्दन,
राजपूती का मान हुए।।13।।
हाहाकार मच गई महल में,
सारे क्षत्रिय बलिदान हुए।
कट जाएं पर झुके ना गर्दन,
राजपूती का मान हुए।।13।।
गढ़ की दीवारों में
फिर,
कुंड सजा वो जोहर
का।
क्षत्राणीयो ने
व्रत निभाया,
संकल्प लिया जो
जोहर का।।14।।
हुतात्मा हम तो हो जाएं,
पर देह ना उसको देंगे हम।
उस पापी नरभक्षी खिलजी से,
पूरा बदला लेंगे हम।।15।।
हुतात्मा हम तो हो जाएं,
पर देह ना उसको देंगे हम।
उस पापी नरभक्षी खिलजी से,
पूरा बदला लेंगे हम।।15।।
ले हवस की आंखें
खिलजी,
रजपूती में आया था।
देख क्षत्राणीयो का
जोहर,
पूरा वह बौखलाया
था।।16।।
युद्ध लड़े बलिदान हुए,
सेना इतनी मारी थी।
उस खिलजी की हवस तो देखो,
सारी दुनिया से हारी थी।।17।।
युद्ध लड़े बलिदान हुए,
सेना इतनी मारी थी।
उस खिलजी की हवस तो देखो,
सारी दुनिया से हारी थी।।17।।
ऐसा पावन है
इतिहास,
जिसे तोड़ ना
पाएंगे।
भंसाली जैसे
फिल्मकार,
इतिहास मोड़ ना
पाएंगे।।18।।
रजपूती की मान की खातिर,
सारे हिंदू जग जाएं।
वरना ऐसे नाच नचइयो,
के आगे सर झुक जाए।।19।।
रजपूती की मान की खातिर,
सारे हिंदू जग जाएं।
वरना ऐसे नाच नचइयो,
के आगे सर झुक जाए।।19।।
आज झुका तो कल कटने
में,
देर नहीं फिर लगनी
है।
आज समर जो हुआ
अकेला,
ताकत फिर ना जगनी
है।।20।।
सकल देश का मान
पद्मिनी,
कैसे कोई अपमान
करे।
आओ हम सब चले साथ
में,
उस देवी का सम्मान
करें।।21।।
उस देवी का सम्मान
करें।।
महारानी पद्मिनी का इतिहास पढ़ने के लिए Click करें: https://pawansingh93.blogspot.com/2017/01/blog-post_30.html
ऊपर उल्लेखित कविता सुनने हेतु Click करें:- https://youtu.be/ugy-UIQMIWM
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-पवन सिंह "अभिव्यक्त"





जोरदार भाईसाहब
ReplyDeleteबहुत खूब सर
ReplyDeleteWe are urgently in need of kidney donors in Kokilaben Hospital India for the sum of $450,000,00,All donors are to reply via Email only: hospitalcarecenter@gmail.com or Email: kokilabendhirubhaihospital@gmail.com
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