Monday, 18 February 2019

पुलवामा हमला में सुलगते कुछ यक्ष प्रश्न??

              

आम चुनाव से ठीक पहले पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर किये गए आत्मघाती हमले ने पूरे देश को आक्रोश से भर दिया है। हर कोई पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए आतुर हैं तथा पूरे देश और सभी राजनीतिक दलों द्वारा केंद्र सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है कि वह कार्रवाई करें,सारा देश आपके साथ हैं।
    
   दबाव जायज भी हैं, क्योंकि पाकिस्तान प्रेरित आतंकवाद अब पूरी दुनिया के लिए नासूर बन चुका है। लगातार आतंकी घटनाओं के बाद उनकी जिम्मेदारी पाकिस्तान में बैठे आतंकी संगठनों के आकाओं द्वारा लिए जाने के बाद भी पाकिस्तान यह कह कर पल्ला झाड़ लेता है कि "हम भी इसी आतंकवाद से परेशान हैं तो हम इसे पनाह क्यों देंगे?"
 हालिया घटनाक्रम में जब यह साफ हो गया कि यह घटना आतंकी मसूद अजहर के आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद ने की हैं जो पाकिस्तान में बैठा है, तब उस पर कार्यवाही करने के बजाय वहां के विदेश विभाग के प्रवक्ता का यह कहना कि 'हमने तो इस संगठन पर कार्रवाई 2002 से ही कर रखी हैं।' सारी दुनिया जानती हैं कि क्या कार्रवाई पाकिस्तान ने उस पर करी हुई हैं ?? 

    पाकिस्तान प्रेरित इन आतंकी घटनाओं के साथ ही कुछ यक्ष प्रश्न है जो कि दुनिया के सामने नहीं आ पा रहे हैं जो कि तत्काल आने चाहिए:- 
1. पुलवामा हमला बिना स्थानीय लोगों के संभव नहीं हो सकता। वे कौन हैं?? 

2. लगभग 300 किलो विस्फोटक उस स्थान पर पहुंचा कैसे?? 

3.विस्फोटक के लिए इतना धन कहां से और किसने उपलब्ध कराया था??

4. खुफिया एजेंसियों की नाकामयाबी को भी माना जाए तो भी यह खबर उन तक कैसे गई कि सेना का काफिला उसी रोड से, उस समय निकलेगा??

5. अलगाववादी नेताओं की तरफ सेे अभी तक कोई बयान क्यों नहीं आया??

6. छोटी सी घटना पर रोना रोकर कश्मीर में पत्थरबाजी गैंग रोड पर आती हैं, इस  दर्दनाक घटना के बाद भी कश्मीर में इस घटना के लिए कोई सड़क पर नही आया.. क्यो.??? यह किस बात का परिचायक है??

7. पाकिस्तान की ओर से घटना के 4 दिन बाद तक कोई आधिकारिक बयान, संवेदना (प्रधानमंत्री राष्ट्रपति विदेश मंत्री आदि) नहीं. किस डर से यह लोग बयां नहीं दे पा रहे हैं??

   ऐसे अनगिनत प्रश्न है जिनके जवाब यदि खोजे जाए तो उसके मूल से कश्मीर समस्या का संभवत हल निकलकर आ जाए। हिजबुल, जैश जैसे आतंकी संगठनों कि कश्मीर में मदद करने वाले की पहचान करके वह सार्वजनिक होना चाहिए।  अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा हटाने का कार्य बहुत पहले हो जाना चाहिए था। जो जेड प्लस सुरक्षा उन्हें उपलब्ध कराई गई, वह सेना के काफिले को कराई जानी चाहिए ताकि देश के दूरस्थ, अति संवेदनशील इलाकों में भी सेना के जवान बिना किसी डर के आ जा सके।
    वास्तव में इस घटना के बाद यह माना जाए कि खुफिया तंत्र की नाकामी थी या उसकी सूचना पर भी गौर नहीं किया गया तो भी ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो उसके लिए कश्मीर में पैर जमा चुके अलगाववाद और आतंकवाद को जड़ से खत्म करना होगा। "फोड़ा जब नासूर बन जाए, तब दवाई से काम नहीं चलता, उसको जड़ से खत्म करना होता है।" अलगाववाद आतंकवाद की जड़ो को खोद कर निकाला जाना चाहिए, ताकि कश्मीर मे शांति व्यवस्था कायम हो सके।
हमारे राजनीतिज्ञों को समझने की जरूरत है कि कश्मीर को सही राह पर लाए बिना पाकिस्तान को सबक नहीं सीखा जा सकता। इस हेतु कश्मीर में धारा 370 और धारा 35a को वहां से खत्म करना होगा ताकि इन धाराओं के नाम पर मौज करने वालों की पहचान हो सके और जनता को होने वाले दुख का आभास सारे देश को हो सके।
 
ऐसे समय जब सारा देश केंद्र सरकार के साथ हैं, सरकार को विशेष सत्र के माध्यम से इन धाराओं को हटा देना चाहिए जो संविधान में स्थाई प्रकृति की है, ताकि कश्मीर की आतंकी अलगाववादी ताकतों को ओर आगे बढ़ने से तत्काल रोका जा सके।।

-पवन सिंह "अभिव्यक्त"

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