जय माता दी
नवरात्रि में मां दुर्गा की नवशक्ति का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। यहां ब्रह्म का अर्थ तपस्या से है। मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनंत फल देने वाला है। इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली।
देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है। इस देवी के दाएं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में यह कमण्डल धारण किए हैं।
मां ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से सर्वसिद्धि प्राप्त होती है। दुर्गा पूजा के दूसरे दिन देवी के इसी स्वरूप की उपासना की जाती है। जीवन के कठिन संघर्षों में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए।
आत्म शांति, सदाचार, संयम आदि गुणों को प्राप्त करने के लिए माँ ब्रह्मचारिणी का ध्यान मनन करना चाहिए।। माँ स्वयं त्याग तपस्या की मूर्ति है, जो अपने भक्तों को इच्छित वरदान देती है।।
मंत्र:-
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
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| अभिव्यक्त मंदसौर |
✍🏻 पवन सिंह "अभिव्यक्त"



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