जय माता दी
वर्षभर के पश्चात पुनः मां दुर्गा की शक्ति की आराधना का पर्व आ ही गया। नौ दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न रूपों का भिन्न-भिन्न तरीके से पूजन अर्चन करते हुए मां की आराधना भक्तों द्वारा की जाती है और मां दुर्गा को प्रसन्न करने के जतन किए जाते हैं। मां दुर्गा के विभिन्न रूपों में प्रत्येक रूप का वर्णन प्रतिदिन प्रस्तुत है:-
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति. चतुर्थकम्।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति.महागौरीति चाष्टमम्।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना:।।
| चित्र:- माँ काली मंदिर, कालीघाट, कोलकाता |
आज नवरात्र का पहला दिन है। प्रथम दिवस मां दुर्गा को "शैलपुत्री" रूप से जाना जाता है और मां दुर्गा की शैलपुत्री रूप की पूजा अर्चना की जाती है। पर्वतराज हिमालय के घर जन्म होने के कारण आप "शैलपुत्री" कहलाई।
"मां शैलपुत्री" हिमालय जैसी दृढ़ इच्छा शक्ति की प्रतीक हैं, मां दाएं हाथ में त्रिशूल व बाएं हाथ में कमल धारण किए हुए हैं।जीवन में दृढ़ता लाने के लिए मां शैलपुत्री का पूजन अर्चन भक्त करते हैं।
मंत्र:-
वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥
माँ शैलपुत्री आपके जीवन मे दृढ़ता लाये और जीवन को स्थिर करते हुए आपको सदैव स्वस्थ प्रसन्न रखे।।
✍🏻पवन सिंह"अभिव्यक्त"

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