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| 17 के 17 रावण |
दुर्गा पूजा हमारे देश में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो संपूर्ण देश के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
दुर्गा पूजा पर हमारे मालवांचल क्षेत्र में मां दुर्गा की आराधना के लिए गरबा नृत्य का आयोजन गांव-गांव, गली-गली में किया जाता है, जिसमें बालक-बालिकाएं, महिला-पुरुष, क्षेत्र के सभी लोग बढ़-चढ़कर, सज-धजकर हिस्सा लेते हैं, जिसका समापन इस वर्ष आज ही हुआ है।
समय के साथ-साथ बढ़ते आधुनिकीकरण के नाम पर मां दुर्गा के पूजा स्थल अर्थात गरबा को भी व्यापार बना लिया गया। गरबा नृत्य कार्यक्रमों में, पंडालों में फूहड़ता परोसी जाती हैं जो ठीक नहीं है। दुर्गा पूजा के बाद दसवे दिन दशहरा अर्थात बुराई के प्रतीक रावण को जलाया जाता है, बुराई का अंत किया जाता है।
आधुनिकता के बीच इस दशहरे पर मां भारती की रक्षा, सेवा, स्वच्छता का संकल्प लेकर हमें गंदगी रुपी रावण को जलाकर स्वच्छता रूपी नया सवेरा लाने का संकल्प प्रत्येक भारतीय को लेना चाहिए। वह स्वच्छता चाहे गली-मोहल्लों की हो या मन की।
मन के रावण बहुत है जिनका अंत करके हम हमारे आसपास के क्षेत्र को अयोध्या बना सकते है, जिसमे सब राम निवास करते हो।। ऐसे मन के रावण है👇🏻
1. बेरोजगारी
2. असमानता
3. अशिक्षा
4. गरीबी
5. आतंकवाद
6. घुसपैठ
7. भ्रष्टाचार
8. युवाओ में नशाखोरी
9. बाल विवाह
10. दहेज प्रथा
11.बालिका भ्रूण हत्या
12. जातिवाद
13.अश्पृश्यता की समस्या
14. भेदभाव
15.अंधविश्वास
16. रूढ़िवादिता
17. युवा में देशप्रेम की कमी
इस वर्ष अर्थात 2017 में 17 रावण का अंत अगर हम कर पाए तो तो ये नवरात्रि ओर दशहरा सार्थक होगा।
मन व्याप्त इन रावणो को नष्ट करके नए भारत के निर्माण के लिए प्रत्येक भारतवासी को आगे आना चाहिए, जिससे भारत माता को विश्वगुरु के सिंहासन पर शीघ्रता से पहुँचाया जा सके, जहां बैठकर माँ सारे विश्व का मार्गदर्शन कर सके।
-पवन सिंह "अभिव्यक्त", दोरवाडा, मंदसौर









