ताकत जुटा, हिम्मत को आग लगा,
फौलाद का भी बल निकलेगा।
कोशिशें जारी रख कुछ कर गुजरने की,
जो है आज थमा थमा सा, वो भी चल निकलेगा।
कोशिश कर हल निकलेगा,
आज नही तो कल निकलेगा।।।
🙏शुरुआत में ही आप सब पाठकों से क्षमा चुकी लेख थोड़ा बड़ा है, कृपया इसे बार जरूर पढ़ें।।🙏
सफलता किसी भी छोटे या गलत रास्ते की मोहताज नहीं होती। सफलता प्राप्त करने के लिए स्वयं को तपाना पड़ता है, सफलता की राह में स्वयं को अनगिनत मुश्किलों से लड़कर पार पाना होता है, इसलिए ईमानदारी पूर्वक, सही दिशा में लगातार की गई "मेहनती ही सफलता की कसौटी" मानी जाती है।
सफलता यकायक मिलने वाला फल नही है, वह तो उस विशाल पेड़ के समान है जो बीज रूप में जब मिट्टी में दफन होता है तब से लेकर सूरज की तपन, बरसता पानी, काली अंधियारी रातों में अकेला ही मैदान में खड़ा रहता है, तभी तो वह पेड़ बन पाता है, उसी के साथ मिट्टी में गया वो बीज जो इन अवरोधों को ना सहकर स्वयं को खत्म कर लेता है और राह में ही धराशायी हो जाता है।।
आज ही कि एक घटना ने यह लिखने पर मजबूर कर दिया और जीवन मे एक बार पुनः यह महसूस हुआ कि कोई भी मंजिल छोटी या बड़ी नही होती बस उसको प्राप्त करने के लिए लगातार मेहनत की आवश्यकता होती है।।
एक नन्हा सा जीव, जो जीवन जीने के लिए इस पृथ्वी पर रोज ही अनगिनत अवरोधो से लड़ता रहता है, और किस क्षण उसका जीवन समाप्त हो जायेगा इसका भी उसे अहसास नही होता। उसका नाम है - मकोड़ा (cuddle)।
आज जब मेरी नजर उस पर पड़ी तो वो एक दीवार पर चढ़ने की कोशिश में लगा हुआ था, मेरी नजर पड़ने से भी पहले से शायद। ऊपर जाने के लिए जतन कर रहा वो मकोड़ा आधे रास्ते ही गया था कि फिसलकर नीचे गिर गया, एक बार ओर चढ़ने की कोशिश की और जैसे तैसे स्वयं को संभालता हुआ, फिसलन पर बचता, पैरों को दीवार पर कसकर पकड़े हुए पिछली बार से तनिक ही ऊपर गया होगा कि वापस नीचे आ गया। मेने सोचा अब यह नही चढ़ने वाला परन्तु उसने एक बार ओर कोशिश प्रारंभ की ओर इस बार भी वो आधे मार्ग से वापस नीचे आ गया। नीचे आकर उसने रास्ता बदल लिया मुझे लगा कि थक कर यह चला गया पर अगले ही क्षण जब उसे देखा तो वो दूसरे मार्ग से दीवार पर चढ़ा जा रहा था, धीरे-धीरे नन्हे-नन्हे कदमों से चलता हुआ वो नन्हा जीव कुछ सेकंड के बाद ऊपर पहुँच गया, वहां से उसमें पुनः रास्ता बदला और उस स्थान तक पहुँचा जिसके लिए उसमें चढ़ाई शुरू की थी।।
अपनी मंजिल को प्राप्त करके वह नन्हा जीव कितना प्रसन्न हुआ होगा इसका अंदाजा मैं, आप या हम कोई भी नही लगा सकते, पर एक सीख जो आज तक हम सुनते आए है कि मेहनत यदि ईमानदारी पूर्वक की गई हो तो हर मंजिल की ऊंचाई छोटी पड़ जाती है।।
नन्हे जीव के इस बार बार अफलता के बाद के सफल प्रयास को देखकर हम भी प्रेरणा ले सकते है कि जीवन मे कोई भी मंजिल, कोई भी लक्ष्य दूर या असम्भव नही होता, जरूरत है तो उस तक पहुँचने की रणनीति की।।
मैं यह नही करता सकता??
मैं इस लायक नही हूं??
मेरे पास सुविधाओं की कमी है??
यह मेरे बस का नही है??
" ये बस है क्या??"
इसी भ्रम को तोड़ना है, इसी वहम को मन से निकलना है और स्वयं को यह महसूस करवाना है कि मैं क्या हूँ?? मैं क्या कर सकता हूँ??? और यह होगा केवल ओर केवल मेहनत से वो भी अनथक, अथक।।।
अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए, सफलता प्राप्त करने के लिए, स्वयं को यदि तपाने का, उस लक्ष्य के प्रति समर्पण भाव पैदा करके उस लक्ष्य को मार्ग में ही जीने का हुनर यदि हमने प्राप्त कर लिया तो वो लक्ष्य, मंज़िल मिलने के बाद जो खुशी, जो प्रसन्नता आपको होगी, उसका मोल आप ही समझ सकोगे ओर तब आपको अहसास होगा कि ""कोई भी लक्ष्य छोटा या बड़ा नही होता।।""
पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद!!
अच्छा, बुरा जैसा भी लगा हो कमेंट करके जरूर बताए, और शेयर जरूर करे।।
आपका:-
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| Pawan Singh ABHIVYAKT |
✍-पवन सिंह "अभिव्यक्त"



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