Wednesday, 5 April 2017

हे राम! अब आ जाओ...


हे राम! इक जन्म ओर धरो,
हे राम! अब तुम आ जाओ।
कौशल्या माँ की कोख से आके,
धरती का मंगल कर जाओ।।

पञ्च ग्रह जब उच्च जगह हो,
नौमी चेत का शुक्ल पच्छ हो।
चाँद सितारे फूल बरसाए,
ऐसा पावन समय अच्छ हो।
आकर मंगल घड़ी में भगवन,
जग की पीड़ा हर जाओ।।१।।
         हे राम! अब तुम आ जाओ।।

बिना गुरु के ज्ञान नही,
भगवान् बिना संसार नही।
भक्ति बिना गुरु वशिष्ठ के,
शक्ति का अंबार नही।
पाकर ऐसी शक्ति न्यारी,
धरती का मंगल कर जाओ।।२।।
          हे राम! अब तुम आ जाओ।।

अब सीता माँ ना सुख पाती,
रावण से हर दिन हर जाती।
असुरो की शक्ति से बचके,
निकल नही वो फिर पाती।
तुम आ जाओ अब दुष्ट मिटाने,
संग लखन हनुमत को ले आओ।।३।।
         हे राम! अब तुम आ जाओ।।

कब तक धरती माता रोये,
देवी कन्या चित्कार करें।
कब तक असुरों की बलि नही,
दानवदल हाहाकार करे।
नष्ट करो अब इन असुरो को,
या हमको वर ये दे जाओ।
माता की रक्षा की खातिर,
हर युवा को राम बना जाओ।।४।।
     
हे राम! अब तुम आ जाओ।।
हे राम! अब तो आ जाओ।।


✍🏻 पवन सिंह"अभिव्यक्त"
मो. 9406601993

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