बचपन से सुना था कि देश में लाल बहादुर शास्त्री नाम के प्रधानमंत्री हुए, जिन्होंने देश को एक समय उपवास रखने को कहा ओर पूरे देश ने उस व्रत को निभाया था। हमनें शास्त्री जी को नहीं देखा, हमनें उनके संकल्प को नहीं जीया, पर हमनें आज के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को देखा और उनके व्रत को जिया और विश्वास कीजिये, आने वाले समय में इस चिरस्थाई दिन 22 मार्च 2020 की कहानियां, किस्से, यादें, इतिहास बनकर भावी पीढ़ियां सुनेगी और इसकी गूंज युगों तक रहेगी कि कैसे एक वैश्विक महामारी के संघर्ष में देश के प्रधान सेवक के एक आह्वान पर सारा देश एक हो गया था।
हमें गर्व होना चाहिए कि हमनें इस महान भारत भूमि पर जन्म लिया। आज इस भागती दौड़ती जिंदगी में कौन घर के अंदर रहना चाहता है? 22 मार्च को सारा देश सुनसान था, इस दिन देश में रेल की पटरियों को, सड़को को, गलियों को चौबारों को इतिहास में पहली बार सुकून मिला था।
पूरा दिन घर में रहने के बाद सबको इंतजार था तो शाम 5:00 बजने का। और जब.वह घड़ी आई जिसका पूरे देश इंतजार कर रहा था,जिसे जो मिला उसे बचाने दौड़ा। थाली, कटोरी, चम्मच, घंटे,.बाजे, ढोल, नगाड़े, दिवाली के बचे हुए पटाखे, खाली डिब्बे जिन्हें जो मिला उसे बजाया। सारे देश ने बजाया, बच्चे ने-बूढ़े ने, महिला ने-पुरुष ने, बहन ने-भाई ने, पति ने-पत्नी ने, दादा ने-दादी ने, नेता, अभिनेता, कलाकार, व्यापारी, सैनिक, अधिकारी, कर्मचारी, अमीर, गरीब सबने बजाया।
कल सारे देश में जाति के बंधन टूट गए, धर्म की दीवारें ध्वस्त हो गई। कल देश में कोई अहंकार नहीं था, था तो केवल एक --भारत माता की जय का नारा।।
सारा देश सैनिको, पुलिस, डॉक्टरों और उनके साथियों के हौसले को बढ़ा रहा था, देश का एक भाव था,एक संकल्प था।
शाम 5:00 बजे का अनुष्ठान था-देश की रक्षा का"" जिसे निभाया इस देश के 130 करोड़ भारतीयों ने।
कल देश का बुरा चाहने वाले, वो चाहे देश के अंदर हो या बाहर सब ने देखा और समझा कि इस सनातनी भारत को खत्म करना किसी के बस में नहीं।
कुछ क्षण घर में ना टिकने वाले, दिनों पहले छुट्टी के दिन खासकर रविवार को बाहर जाकर कुछ करने की सोच रखने वाले, भारतीयों को एक छोटे से आह्वान ने एक कर दिया। किसी का कोई कार्यक्रम नहीं था। सारा देश अपने अपने परिवार के साथ छुट्टी मना रहा था। परिवार के साथ समय बिताने का यह अवसर केवल एक छोटे से संदेश, एक व्यक्ति के आह्वान ने दिया, और उसे पूरी निष्ठा आदर से सारे देश ने जीया।।
अंत में यह इस वैश्विक महामारी कोरोना के खिलाफ लड़ाई की यह भारत में शुरुआत है, कोरोना को देश से हराने की, इसे भगाने की, जिसके लिए सारा देश प्रयासरत हैं।। हमें भी इसी प्रकार एक होकर साथ चलना होगा, क्योंकि "इसका बचाव ही इसका इलाज है" इसलिए इस संकल्प को 1 दिन का ना मानकर जब तक सब कुछ ठीक नहीं हो जाता तक पालन करना होगा और कोरोना को ना कहना होगा।।
-पवन सिंह 'अभिव्यक्त', मंदसौर
-9406601993
