Thursday, 7 March 2019

आंतरिक नीति में फेल होता भारत


F16 से दागी जाने वाली एमराम मिसाइल के टुकड़े

 पुलवामा आतंकी हमले के बाद जो कुछ भी घटित हुआ, उसे देश की बाह्य नीति, विदेश नीति व आंतरिक नीति तीनों धुरियों पर एक साथ देखा जा सकता है।
  सैनिकों के काफिले पर कायराना हमले के बाद जब जेश- ए- मोहम्मद ने हमले की जिम्मेदारी अपने सिर पर ले ली थी, आतंकी डार के वीडियो संदेश जिसमें वह गजवा- ए- हिंद का उल्लेख कर चुका था, तब किसी और की यह दलील की इस घटना के सूत्रधार की जानकारी नहीं है यह फालतू बात थी??  जिसका मुखिया अजहर जिसे पाक आर्मी की रक्षा में रखा गया है, पता होते हुए भी पाकिस्तान का यह कहना कि 'भारत की सरकार सबूत दे हम कार्रवाई करेंगे।' वह भी तब, जब जैश ने स्वीकार किया की हमला हमने करवाया।।
तभी देश में 26 जनवरी के बाद सोई हुई देशभक्ति जगी। बदला- बदला- बदला की आवाजें मुखरित होने लगी।  सप्ताह भर बाद विपक्षी पार्टियां भी अपनी असलियत पर आई और वह भी जवाब मांगने लगी कि आखिर सरकार क्या कर रही हैं? उसे जवानों की शहादत का मर्म नही है??
ओर अंततः 26 फरवरी को भारतीय एयरफोर्स ने नियंत्रण रेखा को पार करके जब एयर स्ट्राइक की, जिसका उल्लेख सबसे पहले पाकिस्तान की तरफ से हुआ। इस बदले के बाद देश का हर नागरिक सरकार व एयरफोर्स की बढाई करते नहीं थक रहा था, इस प्रतिकार से दुनिया ने देखा कि अब भारत पहले वाला नही है, यह प्रतिकार करना जानता है, यह अब डर से, ख़ौफ़ में नही बैठेगा परन्तु अगले दिन हमारी एयरफोर्स का एक जवान अभिनंदन उनकी बॉर्डर में चला गया।

 पाकिस्तान ने जो हमेशा झूठ बोलता रहा है, एयर स्ट्राइक के सबूत मिटा कर, शांति की दुहाई देता हुआ अभिनंदन को छोड़ने का ढोंग किया परंतु वास्तव में उस पर अंतरराष्ट्रीय दबाव इतना था कि जेनेवा समझौते की शर्तों, उसी दिन oic की बैठक में भारत को बतौर अतिथि बुलाना, अमेरिका, फ्रांस,  ईरान, सऊदी अरब आदि के दबाव के बाद अभिनंदन को छोड़ना पड़ा। ओर इस प्रकार यह थी भारत की "विदेश नीति की जीत"

हमेशा की तरह इस बार भी भारतीय सेना का और देश का मनोबल ऊंचा उठा हुआ था। सरकार विश्व समुदाय के सामने पाकिस्तान और उसके आतंकियों पर कार्रवाई के लिए दबाव बना रही थी, उसे घेर रही थी, जनता में उत्साह था कि हम अब किसी से डरने वाले नही और गर्व था उन वीरो पर जिन्होंने माँ भारती को छिन्न भिन्न करने वालो को सबक सिखाया था, तभी हमारे देश में मौजूद जयचंदि लोगों जो राजनीतिक पार्टियों के बड़े पदों पर बैठे हैं ने अपनी राजनीतिक रोटियों को सेंकने के लिए, भारतीय सरकार के विरोध ओर सरकार को नीचा दिखाने वाले बयानों के साथ- साथ देश की रक्षा करने वाली सेना पर भी शक की लकीर खींच दी।

2011 में जब अमेरिका ने ओसामा को मारा था तब राष्ट्रपति ओबामा की घोषणा की "हमने हमारे दुश्मन को मार गिराया, तब अमेरिका के सारे राजनेताओं ने एक स्वर से सरकार की प्रशंसा की थी।" महीनों क्या आज सालों बाद भी किसी नेता ने ये नही कहा कि कहा है ऑपरेशन के फोटो या वीडियो?? किसी ने शक नहीं किया था।।
   परन्तु जब एयर स्ट्राइक की जानकारी पाकिस्तान की तरफ से आई हो, जब देश की तीनों सेनाओं के अधिकारियों ने जानकारी दी हो, उसके बाद भी उस सेना पर शक करते हुए सबूत मांगना किस बात का मानसिकता का परिचायक है?
बाह्य नीति और विदेश नीति में सफल हिंदुस्तान ऐसे राजनेताओं की करतूतों के कारण हमेशा "आन्तरिक नीति" में असफल हो जाता है।  जो पाकिस्तान सबूत नहीं दे पा रहा था वही पाकिस्तान इन नेताओं के बयानों को सुर्खियों में रखकर भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नीचा दिखाने की कोशिश कर रहा है।

देश की जनता को यह समझना होगा कि जो लोग वर्षों से कुछ नहीं कर पाए थे वे अब जब सरकार व सेना कुछ अच्छा कर रही है तो वे क्यों इन पर उंगली उठा रहे हैं?? 
क्यों उन्हें भारत की सेना पर शक हो रहा है??
देश की जनता को सोचना होगा कि इनके रहते देश की सुरक्षा कैसे होगी?
कैसे यह देश सुरक्षित हो पाएगा??
कैसे हम लोग बचेंगे??
कैसे यह देश बचेगा और जब देश नहीं बचेगा हम कैसे बचेंगे? ये राजनेता कैसे बचेंगे?
 ये लोग कहां जाएंगे?? जब लोग नहीं बचेंगे तो अपनी राजनीतिक रोटियां ये कैसे और कहा सेकेंगे?? 
देश की रक्षा हर व्यक्ति, जिसमे आम-खास हो या राजनीतिक पार्टियों के व्यक्ति हो सभी का धर्म होना चाहिए, देश की रक्षा केवल सरकार या सेना का ही काम नही है। यह कर्तव्य है हमारा भी की हम भी इसके अच्छे के बारे में सोचे।।

- पवन सिंह"अभिव्यक्त", मंदसौर
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